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मजदूरों और श्रमिकों की बेहतरी के जितने भी दावे हों लेकिन झारखण्ड में आज भी हालत बहुत अच्छे नहीं है. झारखण्ड से हर साल लाखों लोग रोजगार के लिए पलायन करते हैं. रोजगार की तलाश में झारखण्ड से हर साल बड़ी संख्या में लोग बाहर जाते हैं.मजदूरी के लिए न केवल दूसरे राज्य बल्कि विदेशों में भी जाते है.विदेशों में भी कई बार मजदूर जा कर फंस जाते हैं ,और वहां शोषण का शिकार हो जाते हैं.झारखण्ड में कई मजदूर ऐसे हैं जो कृषि कार्य से जुड़े हैं वे लोग धान कटनी के बाद मजदूरी के लिए बहार चले जाते हैं.ज्यादतर मजदूर ग्रामीण छेत्रों से होते हैं. गिरिडीह,संथाल,दुमका,साहिबगंज गुमला, खूंटी जैसे जगहों से पलायन करते हैं.
पलायन एक सामाजिक समस्या
महानगरों से तो कई मजदूरों और श्रमिकों की बेहतरी के जितने भी दावे हों ,लेकिन झारखण्ड में आज भी हालत बहुत अच्छे नहीं है. झारखण्ड से हर साल लाखों लोग रोजगार के लिए पलायन करते हैं. रोजगार की तलाश में झारखण्ड से हर साल बड़ी संख्या में लोग बाहर जाते हैं.मजदूरी के लिए न केवल दूसरे राज्य बल्कि विदेशों में भी जाते है.विदेशों में भी कई बार मजदूर जा कर फंस जाते हैं ,और वहां शोषण का शिकार हो जाते हैं.झारखण्ड में कई मजदुर ऐसे हैं जो कृषि कार्य से जुड़े हैं वे लोग धान कटनी के बाद मजदूरी के लिए बहार चले जाते हैं.ज्यादतर मजदूर ग्रामीण छेत्रों से होते हैं. गिरिडीह,संथाल,दुमका,साहिबगंज गुमला, खूंटी जैसे जगहों से पलायन करते हैं.महानगरों से तो कई बार बच्चियों के शोषण की ख़बरें आती रही हैं .झारखण्ड के लिए पलायन एक सामाजिक समस्या है.आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है. दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों की स्थिति और भी बदतर है. दूसरे राज्यों में भी मजदूरों को रोजगार मिलना अब टेढ़ी खीर साबित हो रही है. कई बार मजदूर दलालों के चंगुल में भी फंस जाते हैं.
मजदूरों के लिए कई योजना
झारखण्ड सरकार ने मजदूरों के लिए कई योजना की शुरुआत की .साईकिल सहायता योजना,विवाह सहायता योजना ,कौशल उन्नत योजना ,सिलाई मशीन सहायता योजना ,अन्तेय्ष्टि सहायता योजना,मातृत्त्व प्रसुविधा ,मुख्यमंत्री असंगठित कर्मकार मृत्यु या दुर्घटना सहायता योजना .इस तरह की अनेकों योजनायें हैं.फिर भी मजदूरों का पलायन रोकने में सरकार सफल नहीं है. सरकार को मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए रोजगार उपलब्ध करना होगा.