शहर से गांव डगर तक की कहानी

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राजनीति में आजकल मनी, मसल्स के पॉवर का ही जलवा है। राजनीतिक पहुँच जब कई तरह के कारोबार-धंधे का माध्यम बन जाए, तो विवाद का जन्म अपने आप हो जाता है। झारखंड में ऐसी कहानियाँ आए दिनों सामने आ रही हैं। भाजपा नेता अनिल टाइगर के मर्ड र केस का राज़ भी यही है। पुलिस ने जैसा बताया है,  साढ़े चार करोड़ रुपये लेवी की मांग ही उनकी ह त्या की वजह बनी। बता दें कि पिछले दिनों भाजपा नेता अनिल महतो उर्फ़ टाइगर की ह त्या कर दी गयी थी. रांची के डीआईजी सह एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने पत्रकारों से पूरे केस के बारे में जानकारी दी है.
कई वर्षों से था 10 एकड़ जमीन का विवाद
कांके थाना क्षेत्र स्थित चामगुरु में एक 10 एकड़ जमीन है. जिसे लेकर बिल्डर देवव्रत नाथ शाहदेव और अनिल टाइगर के बीच विवाद चल रहा था. विवादित जमीन पर बिल्डर अपना  कब्जा चाहता था. ग्रामीण इसका विरोध कर रहे थे. अनिल टाइगर ग्रामीणों के साथ थे. वे ग्रामीणों के साथ मिलकर विवादित जमीन पर हो रहे कब्जे के खिलाफ काम कर रहे थे. बिल्डर देवव्रत नाथ शाहदेव का दावा है कि 10 एकड़ की  जमीन उसकी है. लेकिन अनिल जमीन पर बिल्डर का कब्जा नहीं होने दे रहे थे. मामले को सुलझाने के लिए कई बार देवव्रत नाथ शाहदेव और अनिल महतो के बीच बातचीत भी हुई थी, लेकिन नाकाम रही.
विवादित जमीन पर चहारदीवारी कराना चाहता था शाहदेव  
2023 के अगस्त में विवादित जमीन पर चहारदीवारी का निर्माण होने लगा. अनिल टाइगर ने स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से। शाहदेव के कब्जा का विरोध किया. तब बिल्डर ने भूमि के केयर टेकर दिलीप कुमार मुंडा के माध्यम से कांके थाना में एफआईआर भी दर्ज करायी थी. जिसमें अनिल महतो सहित 08 नामजद और 40-50 अन्य के विरुद्ध मारपीट, तोड़फोड़ करने और रंगदारी की मांगने का आरोप लगाया था. इस घटना के बाद भी कई बार बिल्डर ने जमीन पर कब्जा करना चाहा. और उसकी बिक्री करने का प्रयास किया. हर बार अनिल टाइगर के विरोध की वजह से बिल्डर जमीन पर कब्जा करने में सफल नहीं हो पा रहा था.
प्रति डिसमिल 50 हजार रुपये की थी मांग
हरमू के विनोद पासवान ने दिसंबर 2023 में देवव्रतनाथ शाहदेव और अनिल टाइगर की अपने  घर बैठक की थी. जिसमें अनिल टाइगर ने प्रति डिसमील 50 हजार रुपये की दर से 4.5 करोड़ रुपये माँगा था. आश्वासन दिया था कि पैसे देने के बाद स्थानीय जोतकार आपका विरोध नहीं करेंगे। लेकिन बैठक में ही देवव्रत नाथ शाहदेव और अनिल टाइगर के बीच कहासुनी हो गयी. देवव्रत नाथ ने धमकाते हुए अनिल महतो पर पिस्टल तक तान दिया था. जिसके बाद समझौता खटाई में पड़ गया.
जानिये कैसे रची गयी पूरी प्लानिंग 
बैठक नाकाम होने के बाद देवव्रतनाथ ने सोच लिया कि अब टेढ़ी ऊँगली करके ही घी निकाली जा सकती है यानी ज़मीन पर क़ब्ज़ा जभी हो सकता है जब रास्ते से टाइगर को हटाया जाए. क्योंकि वो बेशकीमती ज़मीन बेचना चाहता था और इसमें टाइगर अवरोध बना हुआ था. इसलिए अनिल टाइगर की हत्या की साजिश रची। देवव्रत ने अपराधी अभिषेक सिंह उर्फ सूरज सिन्हा को अनिल की ह त्या की सुपारी दी. सूरज ने कोलकाता के एक होटल में दो शूटर अमन सिंह और रोहित वर्मा को बुलाया। अनिल की फोटो के साथ-साथ उसकी हर तरह की जानकारी दी. 18 मार्च को दोनों शूटर कोलकाता से रांची पहुंचे. सभी अपराधी टेलीग्राम, व्हाट्सएप और जंगी एप के माध्यम से एक-दूसरे के संपर्क में थे. अभिषेक सिन्हा उर्फ सूरज सिन्हा ने यूपीआई ट्रांजेक्शन से शूटर को पहली किस्त के तौर पर 50 हजार रुपये भी उपलब्ध कराया. शूटरों ने लगभग एक सप्ताह तक उनके हर मूवमेंट पर नजर रखा. घटना के दिन 26 मार्च को अनिल महतो दोपहर में जब घर से निकले तो बाइक से शूटर रोहित वर्मा ने उसका पीछा किया।  इसकी सूचना दूसरे शूटर अमन सिंह को दी. सदर से लेकर कांके तक पहुंचने के दौरान दोनों शूटरों को कई बार अनिल टाइगर पर गोली चलाने का मौका भी हाथ लगा था. लेकिन वह रास्ते में गोली नहीं चला पाए. अनिल  जब कांके के एक होटल में बैठकर अपने मोबाइल को देख रहे थे. उसी दौरान दोनों अपराधी खाना खाने के बहाने होटल में पहुंच गए. और अमन ने बैग से पिस्टल निकाल अनिल के सिर में सटाकर गोली मार दी थी. अमन तो भाग गया पर पुलिस ने रोहित वर्मा को  गिरफ्तार कर लिया। बाद में अमन की भी गिरफ्तारी हो गयी. फिलहाल देवव्रत नाथ शाहदेव और सूरज सिन्हा फरार है.
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