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कहते है जल ही जीवन है, लेकिन इस जिंदगी के लिए समूची दुनिया में एक अलग तरह का संघर्ष जारी है। कहते तो ये भी है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी को लेकर ही होगा। अब तीसरी जंग हो या ना हो हम नहीं जानते। लेकिन नाई गली के लोग सुबह से शाम तक पानी के लिए जंग जरूर करते हैं। और यह गली प्राकृतिक संसाधन से भरपूर झारखण्ड की राजधानी रांची में ही है। इसका मुहाना शहर की मुख्य सड़क महात्मा गांधी मार्ग पर खुलता है। रोज़मर्रा जीवन में पानी के लिए इनका संघर्ष काला हांडी और पलामू के हरियल अकाल को परास्त कर देता है. इस कहानी में चलिए हम जानते हैं जनता से ही उनका दर्द ,उनका संघर्ष और उनकी परेशानी। जिनका कहना है कि सोने से पहले और उठने के बाद उनके दिमाग में पहला सवाल उठता है पानी ,आखिर पानी कहाँ से आएगा?
कभी-कभी बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाती
रिंकी देवी ,गृहिणी का कहना है कि सुबह-सुबह उठते के ही रोजमर्रा के कामों में पानी की जरुरत होती है। पानी की वजह से बच्चों के स्कूल जाने, उनका टिफिन पैक करने और पति को ऑफिस जाने में देर हो जाती है। सुबह के पांच बजे से ही पानी के लिए उठ जाना पड़ता है ताकि जल्द पानी भरे और पानी का सारा काम सुबह ही कर लें। लेकिन कभी-कभी पानी नहीं होने के कारण मैं बच्चों की ड्रेस भी नहीं धो पाती हूँ। जिसकी वजह से बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज पाती हूँ।
ऑफिस जाने में हमेशा होता है विलम्ब
पल्लवी कुमारी एक ऑफिस में काम करती हैं. उनका कहना है कि उनका घर गली के सबसे लास्ट में है और इनकी गली 130 फीट की है. इन्हें बाहर से बाल्टी में पानी भरने में इतनी देर हो जाती है कि रोजमर्रा के काम, जैसे-कपडे धोने और खाना बनाने में विलम्ब हो जाता है. जिसकी वजह से उन्हें ऑफिस जाने में हमेशा ही देर हो जाती है।
पानी भरने के चलते नींद नहीं होती पूरी
कुणाल,वर्किंग पुरुष का कहना है कि सुबह उठते ही हमें पानी की जरुरत होती। पानी भरने के चलते हमारी नींद भी पूरी नहीं होती है और कभी-कभी तो ऑफिस भी लेट पहुँचता हूँ. इसकी वजह से अपनी बेटी को स्कूल पहुंचाने में भी लेट हो जाता हूँ . वहीँ कभी मार्किट से सब्जी लाने में लेट हो जाता हूँ.जिससे टाइम पर नाश्ता भी नहीं बन पाता है । कभी-कभी ऑफिस लेट न हो जाऊं इसकी वजह से भूखे पेट भी ऑफिस जाना पड़ता है।
सड़क के उस पार से लाना पड़ता है पानी
बता दूं कि 2020 में समाजसेवी शेखर प्रसाद और वॉर्ड 15 की पार्षद जेरिमान टोप्पो ने गली के बाहर बोरिंग कर पानी की टंकी लगवाई थी जिससे 15 फैमिली यहाँ से पानी भरकर अपने रोजमर्रा का काम करती है। लेकिन गर्मी के दिनों में यहाँ के भी पानी का लेयर नीचे चले जाने के बाद यहाँ से पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। इन्हें रोड पार बजरंबली के मंदिर के पास के बोरिंग से पानी लाना पड़ता है.चलती गाड़ियों के बीच पानी लाने में बहुत ही मुसीबत का सामना करना पड़ता है।