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सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के ठीक पहले रविवार को हुई केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सरकार और विपक्ष के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पत्रकारों से कहा कि हम हर मुद्दे पर खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन नियमों और परंपराओं के अनुसार.
किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार-विपक्ष के बीच समन्वय होना चाहिए. मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है.
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सांसदों के हस्ताक्षरों की संख्या पहले ही 100 को पार कर चुकी है. उन्होंने बताया कि मानसून सत्र में कुल 51 राजनीतिक दल और स्वतंत्र सांसद भाग लेंगे. बैठक में 51 दलों के 54 सदस्यों ने भाग लिया. 40 सांसदों ने अपनी पार्टियों की ओर से अपनी राय रखी.
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावों के मुद्दे पर सरकार संसद में उचित जवाब देगी. वहीं उन्होंने कहा कि छोटे राजनीतिक दलों, खासकर जिनके 1-2 सांसद हैं, को बोलने के लिए कम समय मिलता है क्योंकि समय उनकी संख्या के अनुसार आवंटित किया जाता है. लेकिन इस बार छोटे दलों को भी पर्याप्त समय देने पर सहमति बनी है. इसे लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के समक्ष रखेंगे और फिर इस मुद्दे को कार्य मंत्रणा समिति में उठाएंगे.
न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस वर्मा मामले में सभी पक्ष मिलकर प्रक्रिया अपनाएंगे. यह अकेले सरकार का कदम नहीं है. मामले को लेकर हस्ताक्षर की प्रक्रिया चल रही है और यह पहले ही 100 को पार कर चुका है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद विभिन्न दलों के साथ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों की बैठकें बहुत अच्छी और प्रभावी रहीं और उन सभी अच्छे अनुभवों को राष्ट्र के सामने साझा किया जाना चाहिए. हमें इसका स्वागत करना चाहिए.