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मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी “नमक का दारोगा” ईमानदारी की मिसाल थी, लेकिन आज चतरा में नैतिकता को ज़मीन में दफन कर दिया गया है. जनवितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीबों तक पहुंचने वाला नमक, अब गोदाम के बाहर नाली किनारे सड़ रहा है. यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि गरीबों के अधिकार पर सरकारी डाका है. मामला चतरा के हंटरगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित एफसीआई गोदाम परिसर का है, जहां हजारों किलो सरकारी नमक के लावारिस हालत में पड़े रहने के कारण सड़ जाने की घटना हुई है.
यह वही नमक है जो गरीबों की थाली तक पहुंचना था, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और बांटे जाने के अभाव में वह गोदाम में रखे हुए ही सड़ चुका है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि बीडीओ और सीओ प्रतिदिन इस खराब पड़े नमक को देखते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज चुप्पी साधे हुए हैं.
इस तरह की घटना चतरा में पहले भी सामने आ चुके हैं. सही तरीके से अनाजों का रखरखाव नहीं होने, अनाज की कालाबाजी या फिर सड़े हुए अनाजों का गरीबों में वितरण जैसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं.
चतरा के लोजपा विधायक जनार्दन पासवान ने इस मामले में तत्कालीन मंत्री पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि चतरा में अजूबा लोग रहते है. 7000 टन का अनाज घोटाला हो गया, पर इसका जिम्मेवार कौन है, यह आज तक पता नहीं चला है. तत्कालीन मंत्री ने कभी भी इस संबंध में कोई आवाज अब तक नहीं उठाई. क्या इस मामले में उनकी सहमति व संलिप्तता थी. चौंकाने वाली बात यह भी है कि विधायक जनार्दन पासवान के गृहप्रखंड प्रतापपुर में भी 3700 क्विंटल अनाज के घोटाले को लेकर FIR दर्ज है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुआ है.