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राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गाँधी ने किसान आन्दोलन की शुरुआत 1917 में चंपारण से की थी. गरीबी देख कर भावुक हो गए थे वो और यहीं उन्होंने शरीर से परिधान त्याग दिया था. और मात्र एक कपड़े में ही जीवन भर रहने का संकल्प किया और निभाया भी. इसी चंपारण में उन्हें लोग महात्मा कहने लगे. गाँधी के उसी चंपारण से सिर्फ महात्मा के ही नहीं बल्कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के भी सपने चकना चूर हो रहे हैं. गाँधी हर सर पर छत और हर हाथ को काम की वकालत करते थे. वहीं PM मोदी गरीबों को आशियाना देना चाहते हैं. इसे लेकर सरकार ने “प्रधानमंत्री आवास योजना” बनाई। इस योजना को लेकर राज्य सरकार ने भी अपना सहयोग दिया। गरीबों ने भी सपना देखना शुरू किया कि उनका भी अपना घर होगा। सरकार तो इस मामले में गरीबों का साथ दे रही है, लेकिन सरकार में काम कर रहे भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के कारण गरीबों को अपने सपनों के घर को पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। घुसखोरी अपनी चरम सीमा पर है। ऐसा ही एक मामला चंपारण मोतीहारी का है जहां पीएम आवास योजना में रिश्वत लेते आवास सहायक का वीडियो वाइरल हो रहा है।
क्या है पूरा मामला
मोतिहारी के चम्पारण जिले के परसौनी पंचायत मामला का है। जहाँ पीएम आवास योजना के सर्वेक्षण कार्य में घूसखोरी का मामला सामने आया है। पंचायत के आवास सहायक बसंत झा का एक वीडियो तेजी से वाइरल हो रहा है। जहाँ वह अपने दलालों के साथ बैठकर अवैध वसूली का हिसाब करते नजर आ रहा है। वीडियो में कहते हुए नजर आ रहे है कि जितने लोगों का सर्वे हुआ है, उसके अनुसार अधिक पैसे होने चाहिए।
नपेंगे कर्मचारी, एक्शन तय
14 लोगों के सर्वे की जानकारी दलाल ने दी और बताया कि अभी चार लोगों से पैसे लेना बाकी है। जिसमें बिरजूदास ,राकेश और एक महिला शामिल है। वीडियो के वाइरल होने से पहले बसंत झा जब आवास योजना का सर्वे करने पहुंचे तो गांव के लोगों ने पैसे देने को लेकर विरोध भी किया। उसके बावजूद भी उसने लोगों से पैसे लिये। वहीँ किसी ने पैसे लेने का वीडियो बना लिया और ये वीडियो तेजी से वाइरल हो गया। वीडियो को देखते ही जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने संज्ञान लिया हैं और जाँच होने के बाद करवाई की जायेगी।