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झारखंड में कांग्रेस के चंद शीर्ष नेताओं, विधायकों व राज्य सरकार में शामिल मंत्रियों के बीच सिर फुटव्वल चरम पर पहुँचती नजर आ रही है. रांची में कांग्रेस कमेटी की हुई बैठक में पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के बीच जिस तरीके से प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू की मौजूदगी में तीखी बहस हुई, उससे संगठन में नेताओं के बीच मौजूद दरार उभरती नजर आई. बैठक में प्रदेश प्रभारी के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो भी मौजूद थे, लेकिन दोनों नेताओं के पास इस विवाद को चुपचाप सुनने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था.
दरअसल बैठक में मौजूद प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने राज्य में पेसा कानून को लागू करने का मुद्दा उठाया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के कुछ लोग ही इस कानून को लागू होने देना नहीं चाहते हैं.
बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार में शामिल होने और पेसा कानून को लागू नहीं करने के कारण क्षेत्र में कांग्रेस की छवि को नुकसान हो रहा है. इस पर फुरकान अंसारी ने कहा कि बंधु तिर्की पार्टी में नए हैं इसलिए उन्हें धैर्य रखना चाहिए.
फुरकान अंसारी के इस टिप्पणी के बाद ही दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस शुरू हो गई, हालांकि कुछ देर बाद बैठक में मौजूद अन्य नेताओं ने स्थिति को संभाला और इस विवाद को खत्म कराया.
हालांकि चर्चा में यह भी है पिछले दिनों बंधु तिर्की और इरफान अंसारी रांची के नगड़ी में बनने वाले रिम्स 2 के मामले को लेकर आमने सामने हो गए थे और बंधु तिर्की ने मामले में सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात कर इसमें हस्तक्षेप की मांग की थी.
मामले का दिलचस्प पहलू यह भी है कि झारखंड सरकार में बंधु तिर्की और फुरकान अंसारी दोनों ही नेताओं के बेटी-बेटे मंत्री है. बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की कृषि मंत्री है तो वहीं फुरकान अंसारी के बेटे इरफान अंसारी स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाल रहे हैं. ऐसे में बंधु और इरफान के बीच हुए विवाद में अब फुरकान अंसारी के कूद पड़ने और पार्टी में पांच साल का समय देने के बाद भी नए नेता कह देने से बंधु तिर्की की त्यौरियां चढ़ गई.
बैठक में कई विधायकों ने पार्टी कोटे के कई मंत्रियों पर यह आरोप लगाया कि वे पार्टी के एजेंडे के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. इससे जनता के सामने जवाब देने में उन्हें कठिनाई हो रही है.
चर्चा यह भी है कि 14 जुलाई को झारखंड के सभी विधायकों व सांसदों को राहुल गांधी ने दिल्ली बुलाया है, जिसमें विधायकों की नाराजगी को दूर किए जाने के साथ साथ वरिष्ठ नेताओं के बीच सामंजस्य को बनाए रखने पर जोर दिया जाएगा साथ ही झारखंड के नेताओं को बिहार चुनाव में क्या और कैसी जिम्मेदारी दी जाए, इस पर सहमति बन सकती है.