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झारखंड के विभिन्न जिलों से आए हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सरना धर्मावलंबियों एवं परंपरा से जुड़े नागरिकों ने राजधानी रांची में “राजभवन मार्च” किया. इस ऐतिहासिक मार्च का आयोजन “आदिवासी रूढ़ि सुरक्षा मंच” के तत्वावधान में किया गया. राजभवन मार्च के बाद प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून (PESA Act) को पूर्ण रूप से लागू करने की माँग की गई.
प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में कहा कि “पेसा कानून, 1996 में अनुसूचित क्षेत्रों की स्वशासन, संस्कृति, पहचान और संसाधनों की रक्षा हेतु पारित किया गया था, लेकिन झारखंड में आज तक इसे प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया है. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नियमावली का मसौदा तैयार किया गया था, परंतु वर्तमान सरकार ने इसे लागू नहीं किया जिससे आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकार कमजोर हो रहे हैं.”
ज्ञापन में प्रमुख माँगें
1.झारखंड राज्य में पेसा कानून को तुरंत और पूरी तरह लागू किया जाए.
2.अक्टूबर 2023 में तैयार की गई मसौदा नियमावली को अविलंब अधिसूचित किया जाए.
3.ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार दिए जाएं ताकि खनन, भूमि अधिग्रहण और विकास कार्यों में उनकी अनुमति अनिवार्य हो.
4.राज्य स्तर पर सरना धर्म की धार्मिक पहचान को मान्यता दी जाए.
5.सभी जिलों में ग्रामसभा को सशक्त कर पारंपरिक व लोकतांत्रिक ढाँचे को मजबूत किया जाए.
2.अक्टूबर 2023 में तैयार की गई मसौदा नियमावली को अविलंब अधिसूचित किया जाए.
3.ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार दिए जाएं ताकि खनन, भूमि अधिग्रहण और विकास कार्यों में उनकी अनुमति अनिवार्य हो.
4.राज्य स्तर पर सरना धर्म की धार्मिक पहचान को मान्यता दी जाए.
5.सभी जिलों में ग्रामसभा को सशक्त कर पारंपरिक व लोकतांत्रिक ढाँचे को मजबूत किया जाए.
इस संबंध में संयोजक रवि मुंडा ने कहा, “यह केवल पेसा कानून लागू करने की माँग नहीं है, बल्कि यह झारखंड के आदिवासी समाज की अस्मिता, आत्म-सम्मान और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का संघर्ष है.” प्रतिनिधिमंडल में गंगोत्री कुजूर, अशोक बड़ाईक, अर्जुन मुंडा, आरती कुजूर, रोशनी खलखो, पिंकी खोंया, नकुल तिर्की, भोगेन सोरेन, बिरसा पाहन, जगलाल पाहन, बबलू मुंडा, सन्नी तिर्की, मुन्नी मुंडा, रितेश उरांव, सुजाता कच्छप, रूपलक्ष्मी मुंडा, शांति टोप्पो समेत हजारों लोग उपस्थित थे.