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अगर आपके छोटे बच्चे है और आप उन्हें अपने साथ मार्किट,मौल या फिर मंदिर लेकर जाते है, तो अपने बच्चों का अच्छे से ख्याल रहें एसा ही एक मामला नंदयाल जिले के प्रसिद्ध महानंदी मंदिर में बड़ी दुर्घटना होने से बच गया. एक दम्पति दर्शन के लिए जाते समय अपने डेढ़ साल के बच्चे को कार में भूल कर चले गए. वहीँ स्थानीय लोगों, मंदिर के कर्मचारियों और एक पुलिस कांस्टेबल की सतर्कता से बच्चे को खतरे से बचा लिया गया.
डेढ़ साल का बच्चा गाड़ी के अंदर गहरी नींद में सो रहा था
जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के बीजापुर से किंग नाम का एक भक्त अपनी पत्नी,और बच्चों और परिवार के सभी सदस्यों के साथ मंदिर पहुंचा. नंदी सर्कल पर अपनी गाड़ी खड़ी करने के बाद परिवार दर्शन के लिए गए . उस समय सबसे छोटा डेढ़ साल का बच्चा गाड़ी के अंदर गहरी नींद में सो रहा था.
यह मानकर कि दूसरा बच्चा साथ ले गया है, दोनों माता-पिता बच्चे को बंद गाड़ी में छोड़कर अलग-अलग दर्शन के लिए चले गए. सभी खिड़कियाँ बंद होने के कारण बच्चे का गाड़ी के अंदर दम घुटने लगा. वह पसीने से तर-बतर होकर रोने लगा.
स्थानीय लोगों ने जब यह स्थिति देखी तो उन्होंने तुरंत मंदिर के कर्मचारियों को सूचित किया. मंदिर सूचना केंद्र के रिकॉर्ड सहायक ईश्वर और स्थानीय सेवा कर्मचारी नागार्जुन रेड्डी तुरंत मौके पर पहुँचे और पुलिस कांस्टेबल चंद्रशेखर को सूचित किया. कांस्टेबल चंद्रशेखर ने बिना समय गंवाए एक पत्थर से कार की खिड़की तोड़ी और बच्चे को बाहर निकाला.
सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहे, बच्चे को सूचना केंद्र में प्राथमिक उपचार दिया गया. थोड़े ही देर में देर में बच्चा ठीक हो गया और उसे सुरक्षित बचा लिया गया . फिर मंदिर के माइक्रोफोन से माता-पिता का पता लगाने की घोषणा की गई. लगभग 15 मिनट बाद माता-पिता मौके पर पहुँचे और बच्चे को वापस अपनी देखभाल के लिए ले गए .
कर्मचारियों और पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया की व्यापक रूप से सराहना की गई. राज्य की गृह मंत्री वांगलापुडी अनीता ने बच्चे की जान बचाने में कांस्टेबल चंद्रशेखर की सूझबूझ और पहल की प्रशंसा की. मंदिर के अधिकारियों ने श्रद्धालुओं से भीड़भाड़ वाले पूजा स्थलों पर बच्चों को लाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया है. इस बात पर बल दिया है कि क्षण भर की लापरवाही त्रासदी का कारण बन सकती है.