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झारखण्ड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का 15 अगस्त को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. वे 62 साल के थे, उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है. रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक बने थे. उन्होंने 2024 के विधान सभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को हराया था. रामदास सोरेन ने ग्राम प्रधान से राज्य के मंत्री तक का सफर पूरा किया.
टाटा टेल्को में रामदास सोरेन के दादा कर्मचारी थे
रामदास सोरेन का पैतृक गाँव घाटशिला के खरस्ती था लेकिन इनके दादा रोजगार के सिलसिले में घोड़ाबांधा चले गए थे. वहीँ टाटा टेल्को में इनके दादा कर्मचारी थे. इसके बाद पूरा परिवार घोड़ाबांधा में बस गया.वहीँ रामदास सोरेन के पिता वर्षों तक घोड़ाबांधा के ग्राम प्रधान रहे.
वहीँ पिता के निधन के बाद रामदास सोरेन को प्रधान चुना गया. ग्राम प्रधान के रूप में परंपरा संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण को लेकर रामदास सोरेन काफी सक्रिय थे. जल,जंगल और जमीन के नारे को हमेशा बुलंद किया करते थे. झामुमो में वो जमशेदुपर ब्लाक कमेटी में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में जुड़े थे. इसके बाद वे जिला कमेटी के सदस्य बने.फिर जिला सचिव और 1990 में जिलाध्यक्ष बने थे. घाटशिला से विधायक रहते हुए भी वो काफी दिनों तक संगठन के जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके थे.
चंपाई कभी रामदास के काफी अच्छे मित्र थे
रामदास सोरेन ने घाटशिला विधानसभासीट पर 2024 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को करारी शिकस्त दी थी. चंपाई कभी रामदास के काफी अच्छे मित्र थे.
लेकिन चंपाई के झामुमो छोड़कर भाजपा में जाने के बाद घाटशिला विधानसभा सीट में भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को, रामदास सोरेन के खिलाफ उतारा था. ऐसे में अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को जिताने के लिए चंपाई सोरेन ने पूरी ताकत भी झोंक दी थी. चुनाव परिणाम में रामदास सोरेन को 98356 वोट मिले थे. वहीं भाजपा के बाबूलाल सोरेन को 75910 वोट मिले. 22446 वोट से बाबूलाल सोरेन की हार हो गई थी.