साक्षी पांडेय
जीटी रोड लाइव खबरी
झारखंड के आमों का ज़ायक़ा अरब में अपने जलवे बिखेर रहा है. दरअसल पूर्वी सिंहभूम और पाकुड़ जिलों के किसानों ने बड़ी संख्या में आम्रपाली आम उगाये हैं, जो एक्सपोर्ट होकर सऊदी अरब तक भेजे गए हैं. इसकी धूम वहां पिछले दिनों आयोजित हुए मैंगो मानिया फेस्टिवल में जमकर दिखी. मैंगो मानिया फेस्टिवल का आयोजन 15 जुलाई से 17 जुलाई तक सऊदी अरब के जेद्दा और रियाद में हुआ था.
यह पहली बार है कि झारखंड से आम सऊदी अरब के दो शहरों में निर्यात किए गए हैं. सऊदी अरब के आम महोत्सव में वहां के लोगों को झारखंड का आम्रपाली आम बेहद पसंद आया. इस बार पाकुड़ से 250 क्विंटल आम्रपाली भेजा गया था और पूर्वी सिंहभूम से करीब 100 क्विंटल फजली आम भेजा गया था. बताया जा रहा है कि सऊदी अरब में 520-22 रुपये प्रति किलो झारखंड के आम बिके हैं.
इन जिलों में हो रहा आम का उत्पादन
झारखंड के आमों का निर्यात बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत किया गया था. इसमें एपीडा (कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और ऑल सीजन फ्रेश फार्म संस्था ने भी सहयोग दिया.
साल 2025 में झारखंड में कुल 34,500 टन आम का उत्पादन हुआ. जिन जिलों में आम का उत्पादन ज्यादा हुआ, उसमें गुमला में 250 टन रहा तो वहीं पड़ोसी जिले खूंटी में भी आम का उत्पादन सैकड़ों टन में रहा.
क्या कहते हैं आम उत्पादक किसान
बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लगाए गए फलदार वृक्षों से किसानों को अब आय होने लगी है. जमशेदपुर के अब्दुल हमीद खान कहते हैं कि झारखंड और केंद्र सरकार के सहयोग से पहली बार सऊदी अरब के जेद्दा और रियाद शहरों में आम भेजा गया.
2021 में सब्जियों के निर्यात के बाद पहली बार आम का निर्यात अन्य देशों में हो रहा है, क्योंकि वहां अधिकांशतः भारतीय लोग कार्यरत हैं. ऐसे में उन्हें अपने देश की सब्जियों और फलों से विशेष लगाव होता है. झारखंड में आम और सब्जियों का जैविक उत्पादन होता है, जो सभी मानकों पर खरा उतरता है और निर्यात के लिए उपयुक्त है.
झारखंड में हो रही आम खेती
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित बिरसा हरित ग्राम योजना योजना के अंतर्गत अब तक राज्य में 1.45 लाख एकड़ भूमि पर फलदार पेड़ लगाए जा चुके हैं, जिनमें लगभग 40 हजार एकड़ क्षेत्रफल में लगे पेड़ों से फल प्राप्त हो रहे हैं.
मनरेगा के तहत इन खेतों में पौधरोपण किया जाता है. इसके बाद संबंधित किसान को मजदूरी, पौधों की सुरक्षा, सिंचाई आदि के लिए मनरेगा के अंतर्गत भुगतान किया जाता है. प्रति एकड़ लगभग 108 से 112 फलदार पेड़ लगाए जाते हैं, जिन पर पांच वर्षों में लगभग 4.5 लाख रुपये का खर्च आता है.
गुमला और खूंटी जिलों में सबसे अधिक आम का उत्पादन होता है, जबकि साहिबगंज, पाकुड़ और रामगढ़ भी आम उत्पादन में अग्रणी हैं. 50% लाभार्थियों का चयन झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन समिति (JSLPS) द्वारा किया जाता है. अब तक राज्य में कुल 1.58 करोड़ फलदार पेड़ लगाए जा चुके हैं, जिससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि राज्य में हरियाली का दायरा भी विस्तृत हुआ है.