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आदिवासी संगठनों द्वारा बुधवार 4 जून को आहूत झारखंड बंद के मद्देनजर केन्द्रीय अध्यक्ष बबलू मुंडा एवं जगलाल पहान के अगुवाई में केन्द्रीय सरना समिति एवं चडरी सरना समिति के सैकड़ों कार्यकर्ता झारखंड बंद कराने सड़कों पर उतरे. बंद की शुरुआत केन्द्रीय सरना समिति के प्रधान कार्यालय लाइन टैंक रोड PWD क्वार्टर होते हुए लाइन टैंक रोड चडरी HB रोड होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पहुंच कर दुकानदारों से शांतिपूर्वक बंद करने की अपील की और अल्बर्टा का चौक काफी देर तक बंद करने का कार्य किया साथ ही साथ अल्बर्ट का चौक पर धरने के तौर पर बंद समर्थक सड़कों पर बैठ गए.
इसी दौरान जिला प्रशासन के द्वारा सभी बंद समर्थकों की गिरफ्तारी दी गई. केन्द्रीय सरना समिति अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि झारखंड में अबुआ सरकार नहीं है, झारखंड में बबुआ सरकार है. हेमंत सोरेन सरकार ने साढ़े पांच साल के कार्यकाल में आदिवासी समाज को गर्त में भेजने का काम किया है. हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा लगातार आदिवासी विरोधी कार्य किया गया है. लगातार पांच माह से केन्द्रीय सरना स्थल सिरमटोली फ्लाईओवर रैम्प पर आदिवासी समाज के द्वारा अपनी अस्मिता अपनी अस्तित्व को बचाने के आदिवासी समाज अपनी बातों को रख रही है और आदिवासी मुख्यमंत्री मौन है. आदिवासी विरोधी मुख्यमंत्री आदिवासियों के धर्म व संस्कृति, रीति रिवाज रूढ़िवादी प्रथा को खत्म करना चाहते हैं.
बबलू मुंडा ने कहा कि विभिन्न आदिवासी संगठनों ने विभिन्न मुद्दों को ले कर झारखंड बंद हुआ है वह असरदार है. इन मुद्दों में सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप विवाद, आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरू, पारसनाथ हिल्स गिरिडीह, लुगु बुरू, मुधर हिल्स पिठोरिया, दिउरी दिरी तमाड़ और बेड़ो महदानी सरना स्थल को बचाने समेत कई मुद्दों को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने संयुक्त झारखंड बंद असरदार रहा.
मुख्य पाहन जगलाल पाहन ने कहा कि जिस दिन हमारा संस्कृति परंपरा खत्म होगा उसी दिन आदिवासी समाज खत्म हो जाएगा. कम से कम झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को आदिवासी हित में काम करना चाहिए. इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से केन्द्रीय सरना समिति अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पाहन जगलाल पहान, महासचिव महादेव टोप्पो, चडरी सरना समिति के प्रधान महासचिव सुरेन्द्र लिंडा, झारखंड आंदोलनकारी कुमोद कुमार वर्मा, अमर उरांव, चीकू लिंडा, प्रेम लिंडा, विकास संगा, संजय लकड़ा, मुन्ना हेमरोम, मुकेश मुंडा, आशीष मुंडा, महादेव मुंडा, विशाल मुंडा, नरेश मुंडा, संदीप हेमरोम, शशि उरांव आदि उपस्थित थे.