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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस झामुमो द्वारा सरना कोड के नाम पर झंडा लेकर घूमने पर कहा कि कांग्रेस झामुमो को यदि सरना आदिवासियों की चिंता है तो पहले महत्वपूर्ण है सरना धर्म संस्कृति की रक्षा.

उन्होंने 2011 की जनगणना के हवाले आंकड़ा देते हुए बताया कि 2011 में झारखंड की कुल आबादी 3,29,88,134 थी जिसमें 86,45042 आदिवासियों की संख्या थी. यानी 26.20% लोग आदिवासी थे. इसमें 14,18,608 ईसाई की संख्या है. अर्थात कुल आदिवासी आबादी के 15.48% लोग ईसाई धर्मावलंबी हो चुके हैं.

अगर इसे हम जातिवार और विस्तार से देखें तो उरांव में 26% मुंडा( पातर मुंडा सहित) में 33%, संथाल में 0.85% ,हो में 2.14% और खड़िया में 67.92% ईसाई बन चुके हैं और यह आंकड़ा लगभग 15 वर्ष पहले का है अर्थात झारखंड की कुल आबादी के 4.30% ईसाई हैं.

बाबूलाल मरांडी ने झामुमो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व हेमंत सोरेन, राहुल गांधी से पूछा कि वे बताएं कि आखिर आदिवासी ऐसे ही अपनी धर्म संस्कृति से अलग होता गया तो फिर सरना धर्म कोड कौन भरेगा. सरना कोड तो वहीं भरेगा जो सरना स्थल, मरांग़बुरू जाहिर थान को मानेगा. ये बचेंगे तभी तो धर्म कोड की जरूरत होगी.

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस झामुमो को आदिवासी समाज की धर्म संस्कृति की चिंता है तो पहले इसे बचाने के लिए प्रयास करें. इस राज्य में रघुवर दास सरकार ने धर्म स्वातंत्र्य कानून बनाकर इसे संरक्षित रखने के लिए कड़े प्रयास किए थे. ऐसे में राज्य सरकार से इस कानून को कड़ाई से लागू करने की मांग की.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे राहुल गांधी, हेमंत सोरेन से चाहेंगे कि वे राज्य के 32 जनजाति समाज की परंपरा,संस्कृति ,विश्वास को बचाने का प्रयास करें.

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