जीटी रोड लाइव खबरी
झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन की सरकार पर बड़ा निशाना साधा है. रांची स्थित झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सोमवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने झारखंड के सभी जिलों में प्रदर्शन कर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा और मांग किया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य में रह रहे पाकिस्तानियों को चिन्हित कर अविलंब वापस पाकिस्तान भेजा जाए.
उन्होंने कहा कि जहां जहां देश में इंडी गठबंधन की सरकारें हैं वहां पाकिस्तानियों को चिन्हित कर उन्हें उनके देश भेजने के लिए राज्य सरकार तत्परता नहीं दिखा रही. ऐसा लगता है उन पर तुष्टीकरण का भूत सवार है जबकि भारत सरकार ने पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद पाकिस्तानी नागरिकों के 14 प्रकार के वीजा को रद्द करते हुए अटारी बॉर्डर को इसी कार्य के लिए खोल रखा है.
संविधान पर कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर
प्रदेश प्रभारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर संविधान बचाने की बात करने आ रहे हैं जबकि कांग्रेस ने संविधान और संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर का बार बार अपमान किया. कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की, 370 लगातार राष्ट्र की एकता अखंडता पर चोट की, देश का विभाजन स्वीकार किया. संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर को भारत रत्न से वंचित रखा, मंडल कमीशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया, पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया, आरक्षण खत्म करने की बात की.
वक्फ संशोधन कानून से आदिवासी जमीन होंगी सुरक्षित
डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून आज शेड्यूल 5 के तहत आनेवाले झारखंड राज्य के आदिवासी समाज की जमीन को सुरक्षित करने केलिए कवच बना है लेकिन तुष्टीकरण नीति में कांग्रेस इसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अब कांग्रेस का पाप याद आ रहा. अगर उन्हें माफी मांगनी है तो टुकड़ों में क्यों मांग रहे पूरी जिम्मेवारी लें. माफी देश विभाजन स्वीकार करने के लिए मांगे. करोड़ों लोगों के नरसंहार के लिए मांगें. देश में आपातकाल लगाने के लिए मांगे. आरक्षण समाप्त करने की सोच के लिए मांगे. तुष्टीकरण के लिए मांगे. राम के अस्तित्व को नकारने के लिए मांगे. देश में चुनी हुई राज्य सरकारों को गिरा कर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए मांगे. संवैधानिक संस्थाओं के अपमान के लिए मांगे. कैबिनेट के फैसले को चौराहे पर फाड़ने के लिए मांगे.