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नक्सलियों से जुड़ी आज दो ख़बरें मीडिया में चल रही हैं। एक खबर झारखंड के चाईबासा से है, जहाँ नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से आईईडी बम लगा दिए थे। हालांकि बम स्क्वायड टीम ने बरामद आईईडी को मौके पर ही नष्ट कर दिया। दूसरी सम्बंधित खबर इसके ठीक विपरीत है। न्यूज़ पोर्टल लगातार के मुताबिक माओवादियों ने पहली बार खुले तौर पर शांति वार्ता की पहल की है। लेकिन साथ ही शर्त भी रख दी है। शर्त है कि सरकार माओवादी विरोधी अभियान यदि रोक दे जभी शांति वार्ता संभव है। चलिए अब इन दोनों ख़बरों के बीच की कमज़ोर डोर को समझने की कोशिश करते हैं।

जंगल में पांच-पांच किलो के 2 आईईडी बम बरामद

पश्चिमी सिंहभूम के जराईकेला थाना के अंतर्गत वनग्राम बाबुडेरा के जंगली और पहाड़ी इलाकों में दो आईईडी बम बरामद हुआ। जिसे पुलिस बल को नुक़सान पहुंचाने के मकसद से ही लगाया गया होगा। हालाँकि बम स्क्वायड टीम ने बम को मिलते ही नष्ट कर दिया। दो आईईडी बम पांच-पांच किलो के थे। बता दें कि सारंडा जंगल क्षेत्र में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, अनल सिंह, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन, पिंटु लोहरा, चंदन लोहरा, अमित हांसदा उर्फ अपटन, जयकांत, रापा मुंडा अपने दस्ता सदस्यों के साथ सारंडा कोल्हान क्षेत्र में विध्वंसक गतिविधि चला रहे हैं।

सारंडा के जंगलों में नक्सल विरोधी सर्च अभियान जारी

चाईबासा पुलिस, कोबरा झारखंड, जगुआर और सीआरपीएफ की टीमों का एक संयुक्त अभियान दल गठित किया गया है। इस संयुक्त टीम ने आईईडी बम को सर्च करने के लिए अभियान चलाया है। बाद 4 मार्च 2025 से विशेष संयुक्त अभियान छोटानागरा एवं जराईकेला थाना के सीमावर्ती जंगल पहाड़ी क्षेत्र में शुरू किया गया है। सर्च अभियान के दौरान जराईकेला थानान्तर्गत वनग्राम बाबुडेरा के जंगल में बम बरामद कर डिफ्यूज करने का काम किया है। आईईडी सर्च टीम द्वारा चलाया जा रहा नक्सल विरोधी अभियान जारी है।

क्यों शान्ति वार्ता को तैयार हैं माओवादी

झारखंड में अब नक्सली सक्रियताओं में काफी कमी आई है। आप ये भी कह सकते हैं कि पुलिस की चौकसी ने माओवादियों का दम तोड़ दिया है। नक्सली छिटपुट घटना को अंजाम तो ज़रूर दे रहे हैं, लेकिन बड़ी घटना के लिए उनकी साँसें फूलने लगती हैं। यदि पुलिसिया रिकॉर्ड की मानें तो विगत दस सालों में सूबे के 113 थाना क्षेत्रों से नक्सली छू मंतर हो चुके हैं। इससे उनकी हालत पतली हो गयी है। यही कारण है कि वे अब शान्ति वार्ता को राज़ी हो रहे हैं। उनकी दो-तीन शर्त है। जैसे- नए सुरक्षा कैंप ना लगे, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना आदि राज्यों में ऑपरेशन के नाम पर हो रही कथित हत्याओं पर रोक लगे.

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