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एनकाउंटर का ज़िक्र आते ही एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक और महाराष्ट्र का नाम ज़ेहन में दौड़ने लगता है. क्योंकि सबसे पहले 1983 के दौर में महाराष्ट्र पुलिस का बैच मशहूर हुआ. इनमें प्रफुल्ल भोसले, विजय सालस्कर, रवींद्र आंग्रे , असलम मोमिन और प्रदीप शर्मा जैसे ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ कहे जाने वाले पुलिस अफसर शामिल थे. इसके बाद इधर के सालों में उत्तर प्रदेश एनकाउंटर के नाते चर्चित हुआ. लेकिन अपना झारखंड क्यों पीछे रहता. इस राज्य में नक्सलियों का आतंक शासन-प्रशासन को परेशान करता रहा है. नक्सलियों का खात्मा करने के लिए कई पुलिस अधिकारी भी आये. आतंक फैलाने वाले नक्सलियों को मार भी गिराया. एसे ही एक इन्स्पेक्टर हैं प्रमोद कुमार सिंह उर्फ़ पी के सिंह, जिनका रांची से रामगढ़ तबादला किया गया है. झारखंड के यही दया नायक हैं. यही एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं.
तबादले में पहला नाम इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार सिंह का
झारखण्ड में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर के साथ कई अन्य इंस्पेक्टर का तबादला अन्य जिलों में किया गया है. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर डॉ. प्रमोद कुमार सिंह का तबादला रामगढ़ जिले में किया गया है. डीआईजी कार्मिक ने तबादले के सम्बन्ध में आदेश जारी किया है. रामगढ़ वही जिला है जहाँ एनकाउंटर में मारे गए अमन साहू की हुकूमत चलती थी. जानकारी के मुताबिक आज भी अमन साहू के गुर्गे यहाँ एक्टिव है और यह क्षेत्र अमन साहू के गैंग से परेशान है.
इंस्पेक्टर डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने किया था एनकाउंटर
इंस्पेक्टर डॉ प्रमोद कुमार सिंह झारखंड पुलिस के तेज तर्रार और निडर अफसर माने जाते हैं. धनबाद में रहते हुए वो अकेले ही लुटेरों से भिड़ गए और उनका एनकाउंटर किया. सुर्ख़ियों में आये जब इन्होने कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू का एनकाउंटर किया. 11 मार्च 2025 को झारखंड एटीएस की टीम में इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार भी शामिल थे. अमन साहू को जब रायपुर से रांची लाया जा रहा था, तो पलामू में अमन साहू के गैंग ने पुलिस टीम पर बम से हमला कर दिया. वहीं अमन साहू को लेकर भागने की कोशिश की. इस बीच अमन साहू ने पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की. जिसके बाद ही इस्पेक्टर प्रमोद कुमार सिंह ने मोर्चा सँभाला और अमन साहू को ढेर कर दिया .
क्यों जाने जाते है एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
इंस्पेक्टर डॉ.प्रमोद कुमार सिंह को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क्यों कहा जाता इसके बारे में हम आपको पूरी कहानी बताते है. सबसे पहले तब चर्चा में आये जब उन्होंने पलामू के विश्रामपुर में एक बड़ी घटना को अंजाम दिया था. घटना नावा बाज़ार की है, साल था 2002, जब पी के सिंह ने तीन नक्सलियों को शूट कर दिया था. अगले ही वर्ष 2003 में नागर उंटारी के भादुहा में 6 नक्सलीको मार गिराया. चैनपुर में उसी वर्ष तीन नक्सली को मारा. चैनपुर में ही बस डकैती कर रहे चार अपराधियों का काम तमाम किया. गढ़वा के मंगरधा घाटी में चार डकैतों को स्वर्ग पहुँचाया. लातेहार–पलामू के बॉर्डर एरिया हुटार में दो महिला और तीन पुरुष को एनकाउंटर करने का इनपर आरोप लगा था. वर्ष 2004 में लातेहार में पांच लाख के इनामी नक्सली खुदी सिंह खरवार उर्फ छोटू चौधरी को अकेले एनकाउंटर कर बॉडी बाइक पर लादकर थाना ले गये थे. 2004 में ही चैनपुर के नावापहाच में अजय यादव उर्फ लखन उर्फ छोटू को मार गिराया. पलामू जिले के हुटार में तीन नक्सलियों को मार गिराया.2006 में नावाडीह में दो डकैतों को मार गिराया. 2011 में जमशेदुपर के सीताराम डेरा थाना क्षेत्र में अखिलेश सिंह के चार गुर्गों को मार गिराया. 2018 में लातेहार के खैरा जंगल में अमित उर्फ गुड्डू को मार गिराया. उसके पास से एके 56, 10000 गोली, 15 राइफल व अन्य सामान बरामद हुआ था.