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झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों की जिन ग्राम पंचायतों में 50 फीसदी या उससे अधिक आदिवासी जनजाति रहती है, वहां शराब दुकान व बार खोलने के लिए ग्रामसभा की अनुमति जरूरी होगी. बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद(टीएसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक में झारखंड उत्पाद नियमावली-2025 के गठन संबंधित प्रस्तावित अधिसूचना के प्रारूप पर विचार किया गया. इसके अलावा बैठक में द प्रोविजन ऑफ द म्युनिसिपालिटी एक्सटेंशन टू द शेड्यूल एरिया (मेसा बिल) 2021 के संशोधन पर भी चर्चा हुई लेकिन इसे फिलहाल स्थगित रखने पर सहमति बनी.
आदिवासी को ही मिले लाइसेंस
टीएसी सदस्य स्टीफन मरांडी ने बैठक में लिये गये निर्णय के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि तय एजेंडा के अनुरूप आदिवासी बहुल क्षेत्रों की उन ग्राम पंचायतों में, जहां 50% या अधिक आबादी आदिवासी जनजाति की है और यदि वह झारखंड सरकार के पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग द्वारा उन्हें अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राजकीय या स्थानीय महत्व के पर्यटन स्थलों (धार्मिक स्थलों को छोड़कर) के रूप में घोषित किया जाता है, तो पर्यटन को बढ़ावा देने एवं राजस्व हित में अवैध शराब पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से इन क्षेत्रों में ऑफ-प्रवृत्ति की खुदरा शराब दुकानों की बंदोबस्ती पर विचार किया गया.
इसके अलावा इन क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट, बार एवं क्लब को इन क्षेत्रों में लाइसेंस प्रदान करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया. टीएसी के सदस्यों ने इस पर अपनी बात रखी. बैठक में इस बात पर सहमति बनी इस संबंध में ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी. ग्रामसभा की बिना सहमति के इन क्षेत्रों में शराब की दुकानें नहीं खुलेंगी.
इसके अलावा इन क्षेत्रों में शराब दुकान, होटल, रेस्टोरेंट, बार एवं क्लब खोलने का लाइसेंस भी आदिवासी को ही देने पर भी चर्चा की गयी और इस पर विचार करने की बात कही गयी. बैठक में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, टीएसी के सदस्य प्रो. स्टीफन मरांडी, राजेश कच्छप, आलोक कुमार सोरेन, लुईस मरांडी, संजीव सरदार, सोनाराम सिंकू, जगत मांझी, जिगा सुसारन होरो, सुदीप गुड़ीय, राम सूर्या मुंडा, नमन विक्सल कोनगांड़ी, दशरथ गगड़ई, रामचंद्र सिंह समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे.
थाना क्षेत्र की बाध्यता पर ली जायेगी कानूनी सलाह
बैठक में सीएनटी एक्ट के तहत जमीन खरीद-बिक्री के लिए थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने का मामला भी उठा. इस संबंध में कहा गया कि इसमें दो प्रकार के थाना क्षेत्र का मामला है, राजस्व थाना क्षेत्र व पुलिस थाना क्षेत्र. ऐसे में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने के पूर्व इसमें कानूनी सलाह लेने की बात पर सहमति बनी. इस मामले में सरकार कानूनी सलाह लेगी. इस संबंध में एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का भी गठन होगा, जो थाना क्षेत्र के गठन के संबंध में जानकारी एकत्र करेगी.
टीएसी की वैधानिकता पर सवाल उठाना गलत
झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने टीएसी के वर्तमान स्वरूप की वैधानिकता पर सवाल उठाये जाने को भी गलत बताया. उन्होंने कहा कि जिस प्रक्रिया के तहत टीएसी का गठन किया गया है, वह पूरी तरह वैध है, इस संबंध में महाधिवक्ता से कानूनी सलाह भी ली गयी है. बता दें कि वर्तमान टीएसी सदस्यों के मनोनयन में राज्यपाल की भूमिका समाप्त किये जाने को लेकर इसकी वैद्यता पर विपक्षी दल भाजपा ने सवाल खड़ा किया है.
ईचा डैम की ऊंचाई होगी कम
बैठक में पश्चिमी सिंहभूम के खरकई नदी पर प्रस्तावित ईचा डैम के निर्माण को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी. इसमें डैम की ऊंचाई कम करने व मात्र इतना पानी रखने पर सहमति बनी जिससे की नहर में पानी छोड़ा जा सके. इस निर्णय से डैम के निर्माण से प्रभावित होने वाले गांव की संख्या 87 से घटकर 18 हो जायेगी. इसमें से भी दो गांव ज्यादा और अन्य 16 गांव आंशिक रूप से प्रभावित होंगे. इसके अलावा सदस्यों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि अधिकारियों की एक टीम गठित कर इस संबंध में प्रभावित गांव के लोगों को जानकारी देगी.
आदिवासी हितों पर चर्चा हुई : सीएम
टीएसी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा बैठक में आदिवासी हितों पर चर्चा हुई है. आदिवासियों का समग्र विकास कैसे हो. यहां की भाषा-संस्कृति को कैसे संरक्षित किया जाये, इन मुद्दों पर सबने अपनी-अपनी बात रखीं. राज्य में आदिवासियों के बीच जमीन खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता को लेकर भी टीएसी में चर्चा हुई. इन सभी चीजों पर विभागों को दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा गया है.
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य को आर्थिक सहयोग नहीं दिये जाने के एक सवाल पर कहा कि केंद्र सरकार देश के राज्यों का माई-बाप है. राज्यों के समग्र विकास में केंद्र की बड़ी भूमिका होती है. ऐसे में जो राज्य, जो समाज और जो वर्ग पिछड़ा है, उसपर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए.