जीटी रोड लाइव खबरी
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने शुक्रवार को नागपुर के दीक्षा भूमि में भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया. इस दौरान उन्होंने वहाँ भारतीय संविधान के निर्माता भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और दीक्षा भूमि परिसर का अवलोकन किया.
ऐतिहासिक स्थल दीक्षा भूमि का अवलोकन करते हुए राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा कि इस पावन भूमि में बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धम्म की दीक्षा लेकर सामाजिक न्याय, समानता और मानवीय गरिमा के मूल्यों को नया जीवन प्रदान किया. उन्होंने कहा कि बाबासाहेब द्वारा रचित भारतीय संविधान देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी साल 30 मार्च को दीक्षा भूमि पर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के स्मारक को नमन करने पहुंचे थे. दीक्षा भूमि केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि यह सामाजिक क्रांति, आत्मसम्मान और धर्म परिवर्तन का प्रतीक है. यह वही स्थान है, जहां बाबा साहेब ने 14 अक्टूबर 1956 को अपने 5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.
विशाल स्तूप मुख्य आकर्षण
दीक्षा भूमि का मुख्य आकर्षण यहां मौजूद विशाल स्तूप है, जिसे बौद्ध स्थापत्य शैली में बनाया गया है. सफेद रंग से निर्मित विशाल गुंबद वाला यह स्तूप बौद्ध वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है. इस संरचना का निर्माण संगमरमर और अन्य उच्च-गुणवत्ता की सामग्रियों से किया गया है.
स्तूप के अंदर डॉ. आंबेडकर की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित है, जो उनके योगदान को दर्शाती है. इसके अलावा संग्रहालय और एक पुस्तकालय भी है, जहां बौद्ध धर्म और डॉ. आंबेडकर के विचारों से संबंधित अनेक किताबें उपलब्ध हैं. इसके साथ ही यहाँ एक बौद्ध अध्ययन केंद्र भी स्थित है, जहां बौद्ध धर्म और डॉ. आंबेडकर के विचारों पर शोध किया जाता है.
दीक्षा भूमि केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. हर साल 14 अक्टूबर को यहां लाखों श्रद्धालु आकर धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाते हैं. डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाकर जाति-व्यवस्था के खिलाफ एक बड़ा संदेश दिया. इसलिए दीक्षा भूमि समानता, न्याय और बंधुत्व का प्रतीक मानी जाती है.