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मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह के खिलाफ बीएनएस की अलग-अलग धाराओं में FIR दर्ज कर ली गई है. विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान दिया था जिसे लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद महू तहसील स्थित मानपुर थाने में FIR दर्ज कर ली गई है. यह एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की तीन गंभीर धाराओं – धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के अंतर्गत दर्ज की गई है. वहीं मंत्री विजय शाह ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है.
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यालय से भी इस संबंध में एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा गया कि, “माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी ने कैबिनेट मंत्री श्री विजय शाह के बयान के संदर्भ में कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.”
विजय शाह ने फिर मांगी माफी
मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी के ख़िलाफ़ की गई अपनी टिप्पणी पर फिर से माफ़ी मांगी है. बुधवार देर रात अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट कर जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने कहा, “हाल में मेरे दिए गए बयान से हर समाज की भावनाएं आहत हुई हैं. उसके लिए मैं दिल से न केवल शर्मिंदा हूं, दुखी हूं, बल्कि माफ़ी चाहता हूं.’’
विजय शाह ने सोफ़िया क़ुरैशी को देश की बहन बताते हुए कहा, “उन्होंने राष्ट्र धर्म निभाते हुए जाति और समाज से ऊपर उठकर काम किया है. वह हमारी सगी बहन से भी अधिक सम्मानित हैं. हाल के भाषण में मेरी इच्छा और मंशा यही थी कि मैं कर्नल सोफ़िया की बात को अच्छे से समाज के बीच में रखूं, लेकिन ‘दुखी और विचलित मन से’ उनके मुंह से कुछ शब्द ग़लत निकल गए. आज मैं खुद शर्मिंदा हूं. पूरे समाज से और समुदाय से माफ़ी मांगता हूं. बहन सोफिया और देश की सम्माननीय सेना का हमेशा सम्मान करता हूं और आज हाथ जोड़ कर सबसे मैं दिल से माफ़ी चाहता हूं.”
मंत्री के बयान पर हाईकोर्ट की सख्ती
मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर एक विवादित बयान दिया था. विजय शाह ने एक सभा में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लिए बिना पाकिस्तानी आतंकियों को लेकर कहा था कि ‘हमने उनकी बहन भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई.’ इस विवादित बयान को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था. कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 4 घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था.
जस्टिस अतुल श्रीधरन की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने राज्य के डीजीपी को निर्देश देते हुए स्पष्ट किया था कि विजय शाह पर तत्काल FIR दर्ज होनी चाहिए. अदालत ने इस मामले में राज्य के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को भी सख्त निर्देश जारी किए हैं और कहा कि किसी भी स्थिति में FIR दर्ज होनी ही चाहिए.
सात साल तक की हो सकती है जेल
भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के अंतर्गत हुई प्राथमिकी में दर्ज धारा 152 को शामिल किया गया है, वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों के खिलाफ है. इस धारा के अंतर्गत जीवनकाल तक की सजा या अधिकतम सात वर्ष की जेल हो सकती है.
धारा 196(1)(b) के तहत यदि किसी व्यक्ति द्वारा धर्म, जाति, भाषा, या क्षेत्र के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने का प्रयास होता है, तो उसे तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. वहीं धारा 197(1)(c) उन आरोपों से संबंधित है जो राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचा सकते हैं, विशेष रूप से यदि कोई वर्ग यह कहे कि किसी विशेष समुदाय के लोग भारत के संविधान या देश की अखंडता के प्रति सच्ची निष्ठा नहीं रख सकते.