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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को चुनाव होना है. गुरुवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही देश के अगले उप राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर नामांकन भरने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. दो साल से भी अधिक समय का कार्यकाल शेष रहने के बावजूद जगदीप धनखड़ ने बीते 21 जुलाई को अचानक अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया था. 21 अगस्त तक होने वाले नामांकन को लेकर चुनाव आयोग ने एक अगस्त को चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था.
21 अगस्त को नामांकन खत्म होने के बाद अगले दिन 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी तो वहीं 25 अगस्त तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. एक से ज्यादा उम्मीदवार होने की स्थिति में 9 सितंबर को मतदान और मतगणना होगी.
चुनाव होने की स्थिति में देश के नए उप राष्ट्रपति के नाम का एलान उसी दिन होगा. नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही पक्ष व विपक्ष दोनों गठबंधनों में उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन शुरू हो गया है. सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से कई नामों के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी के नाम पर मुहर नहीं लगी है.
उप राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी की रणनीति
उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा एक ऐसे नेता को उम्मीदवार बनाने की रणनीति बना रही है, जो पार्टी के साथ-साथ संघ की विचारधारा में भी फिट बैठ सके. साथ ही जिसके नाम पर एनडीए के घटक दलों की सहमति के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन भी आसानी से मिल सके. भाजपा की कोशिश उन विपक्षी दलों को अपने साथ लाने की है, जो कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के साथ नहीं हैं.
नए उप राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं तो वहीं पीएम मोदी की अध्यक्षता में एनडीए नेताओं की भी बैठक हो चुकी है, जिसमें उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा और मंथन होने की बात कही जा रही है. यही कारण है कि बुधवार को शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने जब दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की तो उसके बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया. बीजेपी को जेडीयू और टीडीपी समेत सभी सहयोगी दलों का साथ मिलना तय है.
विपक्षी दलों के तेवर के संकेत से चुनाव तय
पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के घटनाक्रम को लेकर सत्ता पक्ष को निशाने पर रखने वाला विपक्ष उप राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष को वॉक ओवर देने को तैयार नहीं दिख रहा. मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही में हो रही तीखी नोंकझोक और विपक्षी एकता के मद्देनजर कांग्रेस की कोशिश विपक्ष की ओर से संयुक्त उम्मीदवार उतारने की है ताकि एनडीए उम्मीदवार को तगड़ी टक्कर दी जा सके. ऐसे में जब अगले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं तो विपक्षी उम्मीदवार की तलाश की कमान राहुल गांधी के हाथों में हो.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ गुरुवार को रात्रिभोज रखा है, जिसमें इस पर भावी रणनीति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति के चुनाव पर चर्चा होने की संभावना है. कांग्रेस साझा उम्मीदवार को मैदान में उतारकर विपक्षी एकता का संदेश देने के साथ एनडीए को असमंझस में डालने की रणनीति बना सकती है. हालांकि इसके उलट भाजपा की योजना पहले उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर बाद में आम सहमति बनाने की भी हो सकती है.
कैसे होता है उप राष्ट्रपति का चुनाव
9 सितंबर को होने वाले उप राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वोट डालते हैं. लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसद हैं, जो वोटिंग में हिस्सा लेंगे. उपराष्ट्रपति पद के लिए सांसद EVM के जरिए नहीं बल्कि बैलेट पेपर और ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट’ सिस्टम के जरिए मतदान करते हैं. स्पेशल पेन के जरिए ही वोट डाले जाते हैं. वोटिंग के लिए निर्धारित पेन का इस्तेमाल न करने पर वोट रद्द हो जाता है. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता है. ऐसे में पार्टियां अपने सांसदों को वोट देने के लिए मजबूर नहीं कर सकतीं, सांसद पूरी तरह से अपनी मर्जी के मुताबिक वोट देने के लिए स्वतंत्र होते हैं.