शहर से गांव डगर तक की कहानी

शैलेन्द्र सिन्हा

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने 10 दिनों के विदेश दौरे के बाद बुधवार को वापस झारखंड लौट रहे हैं. पत्नी कल्पना सोरेन व मुख्य सचिव अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, उद्योग विभाग के सचिव अरवा राजकमल, उद्योग निदेशक सुशांत गौरव, मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार अजय कुमार सिंह समेत कई अधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्पेन और स्वीडन के इस दौरे से झारखंड में विदेशी निवेशकों को ला पाने में कितना कामयाब हो पाएंगे, इसे लेकर थोड़ा इंतजार करना होगा लेकिन झारखंड वापस लौटते ही मुख्यमंत्री को झारखंड से जुड़े इन पांच सवालों से जूझना होगा.

सवाल 1 : क्या विदेश दौरे पर उठे सवालों का जवाब देंगे मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने मुख्यमंत्री के विदेशी दौरे पर लगातार सवाल खड़े किए हैं. भाजपा प्रवक्ता राफिया नाज ने मुख्यमंत्री के दौरे को ‘समर स्पेशल हॉलिडे’ और ‘शॉपिंग फेस्टिवल’ का नाम दिया तो वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने दौरे के उद्देश्य पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा, विदेशी निवेश आकर्षित करने के लक्ष्य को लेकर हुए इस दौरे में आखिरकार उद्योग मंत्री क्यों नहीं गए. क्या निवेश की बातचीत में मंत्री की कोई भूमिका नहीं?

वहीं एक अन्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने मुख्यमंत्री के इस विदेशी दौरे को सिर्फ कैमरा एक्सपोजर और सैर सपाटे के लिए होने को करार दिया.  प्रतुल शाहदेव ने कहा कि स्पेन, स्वीडन और झारखंड के औद्योगिक फोकस में आसमान जमीन का अंतर है, ऐसे में झारखंड में विदेशी निवेश आने की संभावना कम ही है. तो क्या मुख्यमंत्री अपने विदेशी दौरे को लेकर समग्र रूप से कोई रिपोर्ट जारी कर झारखंड को यह बताएंगे कि उनके विदेशी दौरे से झारखंड को आने वाले समय में क्या लाभ मिलने वाला है.

सवाल 2 : रिम्स निदेशक मामले में सरकार की स्थिति को स्पष्ट करेंगे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बीते 17 अप्रैल को अपने विदेशी दौरे को लेकर झारखंड से पहले दिल्ली और फिर प्रतिनिधिमंडल के साथ स्पेन और स्वीडन के लिए रवाना हुए थे. 17 अप्रैल को ही स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी कर रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार को तत्काल उनके पद से हटा दिया.

निदेशक पद से छुट्टी किए जाने को लेकर डॉ. राजकुमार पर विभाग ने आरोप लगाया कि उन्होंने उच्च अधिकारियों और कैबिनेट के निर्णयों की अवहेलना की. स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले के खिलाफ डॉ. राजकुमार झारखंड हाईकोर्ट गए और हाईकोर्ट ने सोमवार 28 अप्रैल को अपनी सुनवाई में 17 अप्रैल के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि कलंक का आरोप लगाकर यह कार्रवाई न्याय के सिद्धांत के अनुरूप नहीं है.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंगलवार को डॉ. राजकुमार ने रिम्स के निदेशक के पद पर फिर से योगदान दे दिया तो उसके बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या रिम्स निदेशक को पद से हटाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री की सहमति थी या नहीं. यदि सहमति थी तो क्या वह मौखिक थी या फिर फाइल पर उनके हस्ताक्षर भी थे. ऐसे में अब जब मुख्यमंत्री विदेश दौरे से लौट रहे हैं तो वह क्या इस मामले में अपना वक्तव्य देकर सरकार के स्टैंड को स्पष्ट करेंगे.  

सवाल 3 : क्या डीजीपी के मामले में सरकार के अगले कदम को स्पष्ट करेंगे

तीसरा महत्वपूर्ण सवाल जो झारखंड वापसी के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए अहम होगा, वह डीजीपी के रूप में अनुराग गुप्ता की पद से विदाई वाली स्थिति से होगा क्योंकि 30 अप्रैल के बाद डीजीपी के पद पर बने रहने के लिए एक्सटेंशन देने के झारखंड सरकार के आग्रह को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मानने से इंकार कर दिया है. तो क्या 30 अप्रैल के बाद झारखंड के डीजीपी के पद पर कौन होगा, यह तय करना मुख्यमंत्री के लिए बेहद अहम है क्योंकि इस साल के शुरू में ही झारखंड में डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक नई नियमावली को कैबिनेट ने मंजूरी दी और उसके आधार पर फरवरी महीने में 2 साल के लिए 1990 के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद पर तैनाती की गई थी. ऐसे में इस नई स्थिति में सरकार क्या कोर्ट का रूख करेगी, यह जानना दिलचस्प होगा. 

सवाल 4 : पाकिस्तानी के झारखंड में होने और उन्हें वापस भेजे जाने पर झारखंड का क्या स्टैंड रहा

पहलगाम आतंकी घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से यह अपील की थी कि वह अपने-अपने राज्यों में रह रहे पाकिस्तानियों को ढूंढ कर वापस उन्हें भेजे. इस मामले को लेकर झारखंड सरकार की कोई प्रतिक्रिया या स्टैंड सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई जबकि भाजपा ने खुले तौर पर इस मुद्दे पर लगातार झामुमो और उसके कोटे के मंत्री पर हमलावर रही. ऐसे में क्या मुख्यमंत्री जब झारखंड वापस आ रहे हैं तो वह भाजपा के इन आरोपों पर जबाब देंगे या इसे महज एक राजनीतिक बयानबाजी के रूप में लेते हुए इसपर किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया से बचना चाहेंगे.

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