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झारखंड में भाजपा के बहिष्कार के एलान के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की बैठक होगी. करीब डेढ़ साल बाद और हेमंत सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार हो रही टीएसी की बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा होने की संभावना है. इन प्रस्तावों में मेसा बिल (द प्रोविजन ऑफ द म्यूनिसिपिलिटी -एक्सटेंशन टू द शेड्यूल एरिया), 2001 में संशोधन पर भी चर्चा हो सकती है. इस बिल में प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य शेड्यूल एरिया में प्रशासनिक और राजस्व मामलों को सुगम बनाना है.
इसके अलावा ईचा डैम निर्माण को पुनर्बहाल करने पर भी निर्णय हो सकता है ताकि ईचा डैम परियोजना के फिर से शुरू होने पर क्षेत्र में जल आपूर्ति और कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सके. इसके अलावा राज्य के पर्यटन और राजस्व को बढ़ावा देने के लिए निर्णय लिए जा सकते हैं. बैठक में उन क्षेत्रों में शराब दुकानों की बंदोबस्ती और होटल-रेस्तरां खोलने की स्वीकृति मिल सकती है, जहां 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या आदिवासी है, साथ ही, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राजकीय या स्थानीय महत्व का पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया है. धार्मिक मान्यता के पर्यटन स्थलों को इस दायरे से बाहर रखा गया है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बैठक
टीएसी की बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में होगी. कल्याण मंत्री चमरा लिंडा टीएसी के उपाध्यक्ष हैं. विधायक संजीव सरदार, सोनाराम सिंकू, स्टीफन मरांडी, लुईस मरांडी, राजेश कच्छप, जिगा सुसारन होरो, सुदीप गुड़िया, आलोक सोरेन, जगत मांझी, नमन विक्सल कोनगाड़ी, रामचंद्र सिंह, राम सूर्या मुंडा और दशरथ गगराई ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य हैं. इसके अलावा भाजपा की ओर से बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन टीएसी के सदस्य हैं. काउंसिल में मनोनीत सदस्यों के रूप जोसाई मार्डी और नारायण उरांव शामिल हैं.
बैठक का भाजपा ने किया बहिष्कार
भाजपा ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक का बहिष्कार करेगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दूसरे कार्यकाल में होने वाली इस पहली बैठक में भाजपा के विधायक भाग नहीं लेंगे. मिली जानकारी के अनुसार, यह फैसला नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की ओर से लिया गया है. मालूम हो कि भाजपा विधायक पहले भी हेमंत सरकार में आयोजित टीएसी बैठक का हिस्सा नहीं रहे हैं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है. पिछले साढ़े 5 सालों के दौरान झारखंड में आदिवासी समाज के उपर लगातार अत्याचार हो रहे हैं. बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासियों के हक़ अधिकार का अतिक्रमण कर रहे हैं, खनन माफिया जल-जंगल-जमीन का दोहन कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी इसका संज्ञान नहीं लिया. हालात तो इतने बदतर हो चुके हैं कि आदिवासी महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने वाले को मुख्यमंत्री की ओर से मुआवजा दिया जा रहा है. आदिवासियों के उत्पीड़न को प्रोत्साहित और पुरस्कृत कर रही है, तो ऐसी स्थिति में टीएसी की बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं.