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झारखंड के पूर्व सीएम सह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. बाबूलाल मरांडी ने 18 मई को होने वाले झारखण्ड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (JSCA) के चुनाव में प्रशासनिक प्रभाव एवं हस्तक्षेप को रोककर पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का मुख्यमंत्री से आग्रह किया है. बाबूलाल मरांडी ने आशंका जताई है कि इस चुनाव में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग एवं प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारियों और व्यक्तियों द्वारा चुनाव को प्रभावित करने जैसी गंभीर स्थिति के उत्पन्न होने की संभावना है. बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में लिखा है कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह चुनाव एक खेल संघ का चुनाव न होकर प्रशासनिक पद के दुरुपयोग का रूप लेता जा रहा है.
JSCA चुनावों में होता है सत्ता का दुरुपयोग
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट कराया है कि राज्य के खेलप्रेमियों का मनोबल बना रहने और राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गर्व से ऊँचा होने के लिए यह जरूरी है कि JSCA के पदाधिकारियों का चयन पूर्णतः स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो. बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में सीएम का ध्यान इस ओर भी दिलाया है कि पूर्व में भी JSCA के चुनावों में सत्ता का दुरुपयोग होता रहा है, जिसके कारण चयन प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिला है. इसका सीधा प्रभाव राज्य के योग्य एवं मेहनती खिलाड़ियों के अवसरों पर पड़ा है, जिससे वे हतोत्साहित एवं निराश हुए हैं.
झारखण्ड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (JSCA) का चुनाव 18 मई को होना निर्धारित है. इसके लिए मंगलवार 13 मई तक नामांकन और 14 मई तक नाम वापसी की तिथि निर्धारित है. बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि JSCA राज्य का एक प्रतिष्ठित खेल संगठन है और इसकी साख को बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है. यदि अभी हस्तक्षेप नहीं किया गया तो झारखण्ड क्रिकेट की पहचान और गुणवत्ता दोनों पर खतरा मंडराने लगेगा.

उन्होंने कहा कि इसलिए चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के सरकारी हस्तक्षेप, पद प्रभाव एवं सरकारी सुविधा के दुरुपयोग को अविलंब रोका जाए. साथ ही ऐसे सरकारी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए जो चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा मतदान के दिन कड़ी विधि-व्यवस्था की व्यवस्था की जाए ताकि सदस्य निर्भीक होकर मतदान कर सकें. साथ ही चुनाव आयोग या किसी स्वतंत्र संस्था की निगरानी में यह चुनाव सम्पन्न कराया जाए ताकि इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.