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स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने नामकुम स्थित आईपीएच सभागार में राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों के साथ विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक की. बैठक की शुरुआत में मंत्री ने साफ शब्दों में निर्देश दिया कि “सदर अस्पतालों की व्यवस्था तुरंत सुधारी जाए. मामूली बीमारियों के लिए मरीजों को रिम्स रेफर करने की आदत को बंद किया जाए. डॉक्टर, दवा और एम्बुलेंस की कमी का बहाना अब नहीं चलेगा. मरीज को बेहतर इलाज मिले – यही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.”
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, जेएमएचआईडीपीसीएल के प्रबंध निदेशक अबु इमरान, जसास की कार्यकारी निदेशक नेहा अरोड़ा, एनएचएम के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा, निदेशक प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल, स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज, समेत सभी जिलों के सिविल सर्जन एवं अधिकारी मौजूद रहे.
बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने सभी सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि वह स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्राइवेट डॉक्टरों की सेवाएं लें. इसके लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी सदर एवं अनुमंडलीय अस्पतालों में प्राइवेट डॉक्टरों की नियुक्ति करें. उन्हें प्रोत्साहन राशि समय पर दें एवं उनकी ओपीडी सेवा शनिवार-रविवार को भी चालू रखें.
स्वास्थ्य मंत्री ने राँची, पटना, कोलकाता व दिल्ली जैसे स्थानों से योग्य डॉक्टरों को बुलाकर विशेष शिविर आयोजित करने व इसका प्रचार-प्रसार और एडवांस नंबरिंग प्रणाली सुनिश्चित करने को भी कहा. मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि यदि एम्बुलेंस की लापरवाही या रेफरल देरी से किसी मरीज की मृत्यु होती है, तो सिविल सर्जन जिम्मेदार होंगे.
मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने 15 सितम्बर तक अनुमंडलीय अस्पताल, 15 अक्टूबर तक सीएचसी, 15 अक्टूबर तक सदर अस्पताल और 15 नवम्बर तक पीएचसी को हाई स्पीड इंटरनेट लीज लाइन व निःशुल्क वाई-फाई सुविधा से जोड़ने का निर्देश किया. बाद में स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य के सभी सिविल सर्जनों के साथ राँची सदर अस्पताल का भ्रमण किया. इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि “राँची मॉडल को पूरे राज्य में लागू करें. मानव संसाधन, वित्तीय व तकनीकी सहयोग देने में सरकार तत्पर है.”
स्वास्थ्य मंत्री ने इसके अलावा सभी सिविल सर्जनों से आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी सरकारी अस्पतालों का इम्पैनलमेंट कराने के अलावा प्रत्येक जिला अस्पताल को वर्ष में ₹6 करोड़ की राशि उपार्जित करने, प्रत्येक सब सेंटर को EKYC हेतु दो टैबलेट (सिम सहित) प्रदान करने, IPHS मानकों के अनुरूप सभी अस्पतालों को दो वर्षों में अपग्रेड करने, मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के प्रचार हेतु प्रमुख स्थलों पर होर्डिंग लगवाने व 1.5 लाख किमी या 8 वर्ष से अधिक पुराने एम्बुलेंस की सूची शीघ्र उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए.