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बिहार में अगले कुछ महीनों के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से हो रहे वोटर लिस्ट में संशोधन के मामले पर कांग्रेस, आरजेडी समेत 11 विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग से मुलाकात की और इस दौरान आयोग से विशेष गहन पुनरीक्षण को स्थगित करने की मांग की तो वहीं कई सवालों को लेकर अपना ज्ञापन भी सौंपा. मुलाकात करने वालों में भाकपा माले, भाकपा, माकपा के नेता भी शामिल थे.
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “पिछला संशोधन 2003 में हुआ था. बीते 22 साल में बिहार में चार से पांच चुनाव हुए. क्या उन सभी चुनावों में गड़बड़ थी? क्या वे सभी चुनाव सही नहीं थे. 2003 में हुआ संशोधन लोकसभा चुनाव से एक साल पहले और बिहार चुनाव से दो साल पहले हुआ था.
लेकिन अब आप जुलाई में सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले भारत के दूसरे राज्य में वोटर लिस्ट में संशोधन कर रहे हैं. आप चाहते हैं कि ये एक या दो महीने में हो जाए. ये संविधान की बुनियाद पर हमला है. अगर ग़लती से एक भी वोटर का नाम हटाया जाता है तो यह चुनाव और लोकतंत्र को प्रभावित करता है.”
वहीं CPI सांसद डी. राजा ने चुनाव आयोग से मिलने के बाद कहा, “हम बिहार चुनाव कराने में आने वाली समस्याओं पर चर्चा करने के लिए वहां गए थे, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा एक स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन(S.I.R) शुरू किया गया है.
हमने चुनाव आयोग से S.I.R को स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि बिहार में बाढ़, भारी बारिश की आशंका है. ऐसे में कम समय में ऐसा नहीं किया जा सकता है, इसलिए S.I.R को स्थगित किया जाना चाहिए लेकिन चुनाव आयोग हमारे अनुरोधों से सहमत नहीं नज़र आया.”
वहीं आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, “हम सब ने बिहार की चिंता रखी है. लेकिन चिंता से जो चिंतन होना चाहिए था उसकी कमी देखी है. हमने नेता विपक्ष तेजस्वी का पत्र सौंपा. पत्र में सिलसिलेवार तरीक़े से बताया गया है कि कैसे ये लोगों को बेदख़ल करने की साज़िश है.
उनके (चुनाव आयोग) पास कोई जवाब नहीं था कि ये (वोटर लिस्ट में संशोधन) 22 साल में क्यों नहीं हुआ और अब क्यों हो रहा है.”
चुनाव आयोग ने बताया अनधिकृत
इधर, आयोग ने विभिन्न दलों की ओर से अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा बार-बार और अलग-अलग बैठक के अनुरोध किए जाने के बीच बुधवार को फैसला किया कि वह केवल राजनीतिक दलों के प्रमुखों से इस तरह के संवाद का संज्ञान लेगा. अधिकारियों के मुताबिक राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले कई व्यक्ति बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा के लिए आयोग से समय मांग रहे हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि अब से चुनाव प्राधिकरण ‘‘अनधिकृत व्यक्तियों’’ के ऐसे अनुरोधों को खारिज कर देगा.