रांची. झारखंड में ओरल कैंसर पीड़ित मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। यदि आंकड़े की बात करें तो सूबे में एक लाख की आबादी पर करीब 70 लोग कैंसर पीड़ित हैं। इनमें 40-45 ओरल कैंसर के मरीज तंबाकू और गुटखा की वजह से से बने हैं। मंगलवार को कोतवाली थाना अंतर्गत अपर बाजार, महावीर चौक,मारवाड़ी कॉलेज एवं लेक रोड आदि जगहों पर सघन जांच अभियान चला। कुल 22 प्रतिष्ठानों की जांच की गई। क़ानून का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर 1400 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। साथ सख्त हिदायत दी गई कि वे निकोटिनयुक्त गुटखा और पान मसाला न बेचें। यदि किसी दुकान में इस प्रतिबंधित पदार्थ की बिक्री पाई गई तो संबंधित दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे अभियान राजधानी रांची के अलावा दूसरे ज़िले में भी चल रहे हैं। लेकिन ऐसी बंदिशें कुछ ही दिनों के लिए प्रभावी रहती हैं, फिर धड़ल्ले से इनकी बिक्री आम हो जाती है.।और ऐसी जाँच पर आम नागरिकों के मन में सवाल उठना वाजिब है कि क्या सिर्फ़ दुकानदारों के यहाँ छापे से थम जाएगा गुटखा कारोबार और कैंसर की रफ़्तार भी ठहरेगी ? बता दें कि जांच अभियान में खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी सुबीर रंजन, टोबैको कंट्रोल सेल के डिस्ट्रिक्ट कंसल्टेंट सुशांत कुमार, खाद्य सुरक्षा कार्यालय के कर्मी शिवनंदन यादव एवं सजल श्रीवास्तव साथ ही कोतवाली थाना के पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल शामिल थे।
मंत्री इरफ़ान अंसारी की पहल पर लगा प्रतिबंध
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने झारखंड को गुटखा मुक्त बनाने की पहल की है। मंत्री का कहना है कि कैंसर से हम अपने बच्चों को मरने नहीं देंगे। गुटखा बेचने और गुटखा खाने वाले पर भी अब पुलिसिया कार्रवाई होगी। 17 फरवरी 2025 को बाक़ायदा स्वास्थ्य विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर तंबाकू और निकोटिन युक्त गुटखा और पान मसाला पर एक साल के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 30 (2) (ए) और खाद्य सुरक्षा एवं मानक (बिक्री पर प्रतिषेध एवं प्रतिबंध) विनियम, 2011 के विनियम 2, 3 और 4 के अंतर्गत आदेश जारी किया गया है।
इससे पहले भी लग चुका है प्रतिबंध
तंबाकू और निकोटिन युक्त गुटखा और पान मसाला पर झारखंड में यह पहली बार प्रतिबंध नहीं लगा है.।दैनिक भास्कर ने रांची संस्करण के शुरुआती वर्षों में इसके खिलाफ एक अभियान ही चलाया था और झारखंड हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर बंदिश लगाईं थी। उसके बाद पान मसाला के नमूनो की जांच में मैग्निशियम कार्बोनेट मिलने पर 8 मई 2020 को बैन लगा था। तब से इसको विस्तार दिया जाता रहा। लेकिन 2023 से यह मामला पेंडिंग पड़ा था। फिर जून 2022 में तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन की पहल पर पान मसाला के 11 ब्रांडों पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया था।
प्रशासन पहले सख्त बाद में ढीला
प्रतिबंध लगने के कुछ दिनों तक प्रशासन सख्त रहता है। विभिन्न शहरों में छापेमारी का दौर चलता है। भारी मात्रा में गुटखा और पान मसाला बरामद किए जाते हैं। लेकिन कुछ ही दिनों बाद प्रशासन की सक्रियता खत्म होते ही धड़ल्ले से अवैध रूप से गुटखा और पान मसाला की बिक्री शुरू हो जाती है। सरकारी अधिसूचना का आम जनता पर कोई खास असर पड़ता नहीं दिखता है। बस कीमत बढ़ जाती है। कालाबाज़ारी शुरू हो जाती है.। जनता कहती है कि यदि सरकार बैन ही लगाना चाहती है तो इसका उत्पादन करने वाले कारखानों को ही बंद कर दिया जाए। ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी! लेकिन ऐसा कभी होगा नहीं, क्योंकि इससे सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है।