जीटी रोड लाइव ख़बरी
भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर भारत की तरफ़ से सात सांसदों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के नामों की घोषणा की गई. कांग्रेस द्वारा अनुशंसित चार सांसदों को नजरअंदाज करने पर पूर्व मंत्री सह कांग्रेस के नेता बंधु तिर्की ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान की दुनियाभर में पोल खोलने और आतंकवाद के खिलाफ भारत के एक्शन का संदेश लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश का दौरा करने जा रहा है, जिसमें 4 सत्तारूढ़ दलों के नेता और 3 विपक्षी दलों के नेता शामिल होंगे. लेकिन डेलिगेशन में कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम आने के बाद कांग्रेस में ही विरोध के सुर उठने लगे हैं. इस मामले में बंधु तिर्की का कहना है कि उसने जो सूची सौंपी थी, उसमें थरूर का नाम नहीं था तो फाइनल सूची में शशि थरूर का नाम कैसे शामिल हो गया? यह उनकी समझ से परे हैं.
नाम मांगने की जरूरत ही क्या थी?
बंधु तिर्की ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर सभी दलों के संयुक्त शिष्टमंडल को दुनिया के प्रमुख देशों में भेजने का निर्णय लिया तो संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे एवं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से फोन कर चार कांग्रेस सांसदों के नाम मांगे थे, जिन्हें सर्वदलीय शिष्टमंडल में भेजा जा सके.कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा सहित चार सांसदों का नाम नियत अवधि में भेजा गया था. लेकिन सभी सांसदों के नाम की अवहेलना करते हुए सरकार ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक दल को विदेश भेजने का निर्णय लिया है.सरकार के इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार को अपनी इच्छा के अनुसार ही शशि थरूर का चयन करना था तो उसे कांग्रेस से नाम मांगने की जरूरत ही क्या थी? वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रमुख विपक्षी दल को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार की इस प्रकार की प्रवृति खतरनाक है और इससे वैश्विक स्तर पर भी गलत संदेश जाता है. पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच उत्पन्न स्थिति के दौरान कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल, केन्द्र सरकार और पीएम नरेन्द्र मोदी की प्रत्येक कार्रवाई का खुलकर समर्थन किए हैं. ऐसे में केन्द्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री से भी यह अपेक्षा थी कि वह उन स्थापित राजनीतिक मर्यादाओं का पालन करेंगे, जो लोकतंत्र के लिए जरूरी है .