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आज मोहिनी एकादशी है. मोहिनी एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तिथि व्रत किया जाता है. इस व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है. इस दिन भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी कि पूजा-अर्जना करने से सभी रोग और शोक दूर होते हैं शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन मोहिनी का अवतार लिया था. इसलिए यह तिथि मोहिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है.
मोहिनी एकादशी का महत्त्व
मोहिनी एकादशी के व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है. सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.शास्त्रों के अनुसार इस तिथि के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को समुन्द्र मंथन के दौरान अमृत पान करवाया था. इस व्रत को करने से आत्मा की शुद्धि होती है और वैभव, सौभाग्य, सुख, समृद्धि आदि भगवान विष्णु की कृपा से प्राप्त होते हैं. इस व्रत को करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है.
मोहिनी एकादशी की विधि
मोहिनी एकादशी की पूजा सुबह स्नान करने के बाद साफ पीले कपड़े पहनना चाहिए. भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. लकड़ी कि चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु जी कि मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. जल, पुष्प, पीला चंदन, अक्षत, माला आदि अर्पित करें। भोग में फल और मीठा चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु सहस्रनाम, चालीसा या मंत्रों का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती करें। इस दिन मोहिनी एकादशी की कहानी सुनना या पढ़ना शुभ फल देता है। ऐसा करने से व्रत पूरा माना जाता है। पूरे दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप करें, भजन करें। उपवास के दौरान आप फल खा सकते हैं, लेकिन अनाज, चावल और दाल खाने से बचें। अगले दिन सूर्योदय के बाद तुलसी के पानी से स्नान करें, फिर विधिपूर्वक व्रत तोड़ें।
व्रत कथा और मान्यता
शास्त्रों के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत करने से हजार गौदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की कथा सुनना विशेष फलदायी होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से व्रत रखता है, उसे जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।