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झारखंड हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सभी न्यूज पोर्टल और यूट्यूब चैनलों को जनसंपर्क विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर कोर्ट ने असंतोष जताते हुए दोबारा जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई आठ सितंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में सरकार की ओर दाखिल जवाब में बताया गया था कि कई यूट्यूब चैनल और पोर्टल भ्रामक खबर चलाते हैं. कोई भ्रामक खबर न चलाए जाएं, इस संबंध में पीआरडी से निबंधन करा कर ही चलाने को कहा गया है, ताकि सरकार को पता चले कि इसका संचालन कौन कर रहा है.
वहीं प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि साल 2023 में झारखंड सरकार के स्पेशल ब्रांच ने राज्य के सभी जिलों के डीसी और एसपी को पत्र लिखकर बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे यूट्यूब चैनल और पोर्टल पर कार्रवाई करने को कहा था. ऐसा आदेश जारी करना गलत और असंवैधानिक है. राज्य सरकार पोर्टल या यूट्यूब पर कार्रवाई नहीं कर सकती. पीआरडी राज्य सरकार का विज्ञापन देने का एक विभाग है. जिस समाचार पत्र या चैनल को सरकार से विज्ञापन नहीं चाहिए, वह पीआरडी के पास निबंधन के लिए नहीं जाता है.