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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से बुधवार को झारखंड दौरे पर पहुंची 16वें वित्त आयोग के सदस्यों ने मुलाकात की और झारखंड दौरे के कार्यक्रमों, बैठकों एवं उद्देश्यों पर विस्तृत चर्चा की. इस मौके पर वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर सहित राज्य सरकार के वरीय अधिकारीगण भी उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 16वें वित्त आयोग के सदस्यों को अवगत कराया कि झारखंड की भौगोलिक संरचना ऐसी है जहां जमीनी स्तर तक सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा सेवाओं को पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है. झारखंड एक खनन राज्य होने के नाते देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान देता है, परंतु यह राज्य पर्यावरण ह्रास, लोगों के विस्थापन, भूमि क्षेत्र की हानि आदि जैसी नकारात्मक चीजों का भी सामना करता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की खनन कंपनियों द्वारा खनन के उपरांत भूमि पुनर्ग्रहण का कार्य भी सुनियोजित तरीके से नहीं हो पा रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार के विकसित भारत के संकल्प को विकसित राज्य के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. विकसित राज्य, विकसित गांव के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए गांवों के विकास पर अनिवार्य रूप से फोकस रखने की आवश्यकता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों को उसके स्थानीय आबादी की आवश्यकताओं के अनुसार वित्तीय उपयोग करने की स्वायत्तता मिलनी चाहिए क्योंकि प्रत्येक राज्य की विभिन्न ज़रूरतें होती हैं.

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि कृषि एवं उनसे संबद्ध गतिविधियां सरकार के लिए फोकस बिंदु हैं, क्योंकि राज्य की बड़ी आबादी कृषि कार्य पर निर्भर है. राज्य ने मत्स्य पालन में अच्छा कार्य किया है. झारखंड में कृषि के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का सतत विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता है.राज्य के विभिन्न वर्ग-समुदायों के सर्वांगीण विकास के लिए वित्त आयोग का सहयोग अपेक्षित है. स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विशेष कार्य करने की आवश्यकता है.

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